भूसे पर प्रैक्टिस कर जीता गोल्ड मेडल अब ओलंपिक में करेगा भारत का नेतृत्व

हमारे देश की प्रतिभा गांव में निवास करती है। साधन के अभाव में भी कुछ ऐसा कर दिखाते हैं कि लोग आश्चर्य में पर जाते हैं। आजम बात करने वाले सर्वेश कुशारे की जिन्होंने साधन के अभाव में गांव में भूसे पर प्रेक्टिस तीन बार गोल्ड मेडल जीता। अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण आज देश और विदेश से दोनों जगाओ में अपना नाम और देश का नाम रोशन कर रहे हैं। आई जानते हैं सर्वेश kushare के बारे में। 


सर्वेश कुशरे की संक्षिप्त परिचय। 
सर्वेश कुशरे पहले हाई जंपर है जो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। यहां तक पहुंचाने का सफर कई साल पहले महाराष्ट्र के नासिक से 70 किलोमीटर दूर देवगांव से शुरू हुआ था यानी वह नासिक के देवगांव के रहने वाले हैं। सर्वेश के स्कूल टीचर आर जाधव ने उन्हें हाई जंप का सुझाव दिया था। 
सुविधाओं का अभाव होने की वजह से गांव के बाकी खिलाड़ियों की तरह सर्वेश भी सीजर स्टाइल में जंप करते थे। एक दिन कोचने कहा कि उन्हें इस खेल में आगे बढ़ाने के लिए फोकरी स्टाइल में जंप करना होगा। लेकिन इसके लिए गांव में कोई गद्दा  नहीं होता था। सर्वेश के पिता ने भूसे मक्के की कचरे रुई और पुराने कपड़ों की मदद से एक गद्दा तैयार किया। उसी पर सर्वे से प्रतिदिन अभ्यास करते थे। उसी गद्दे को स्कूल में लगाया जिस पर सर्वे से अभ्यास करते थे। 

2016 में सर्विस का चयन आर्मी में हो गया। इसके बाद उनके प्रदर्शन में सुधार होने लगा। उन्होंने पैसे बचा कर एकजुटता खरीदा और प्रोफेशनल टूर्नामेंट में हिस्सा लेना शुरु किया। ओलंपिक के पेरिस में हिस्सा लेने वाले हाई जंपर हिस्सा लेने वाले खिलाडियों में सबसे छोटा सा कद के है। उनका उचाई 5 फुट 11 इंच है।

लगातार तीन साल में भीम बार सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। 
2017 में सर्वेश का पर्सनल बेस्ट 2.17 मीटर था। 2008 नेशनल ओपन एथलेटिक्स में सर्विस में पर्सनल वेस्ट 2.24 मी का जंप कर गोल्ड जीता फिर अगले साउथ एशियन चैंपियनशिप में  2.26 मीटर की जंप कर फिर पर्सनल बेस्ट बनाया और गोल्ड जीता। 2022 की नेशनल चैंपियनशिप में 2.27 मी के साथ पोडियम टॉप किया। इस साल पंचकूला में हुई नेशनल इंटर स्टेट एथलेटिक्स में  2.25 मी स्कोर के साथ उन्होंने पेरिस का टिकट हासिल किय।
सेवेश 2024 में ओलंपिक जो पेरिस में हो रहा है उसमें भारत का नेतृत्व करेंगे। 

नोट,
प्रतिभावान व्यक्ति चाहे गांव का हो चाहे शहर  का अगर उसमें प्रतिभा है और लगन और परिश्रम से लगा रहे तो एक दिन मंजिल जरुर प्राप्त होती है।
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