कौन है गुकेष,जिन्होंने विश्व चैंपियनशिप टूर्नामेंट में जीतकर इतिहास रच दिया।
गुकेश एक शतरंज खिलाड़ी हैं जो कैंडीडेट्स शतरंज टूर्नामेंट जीतकर इतिहास रच दिया है। भारत के 17 वर्ष के ग्रैंड मास्टर शतरंज टूर्नामेंट जीत का इतिहास रच दिया है। अब वह विश्व चैंपियनशिप खिताब जीता कर सबसे युवा चैलेंजर बन गए हैं। गुकेश ने गैरी कासपोरोव का 40 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा है। हुकेश से पहले विश्वनाथ आनंद ही एकमात्र भारतीय थे। जिन्होंने कैंडिडेट चेस जीता था। गुकेश ने पहले चेन्नई में क्वालीफाइंग इवेंट द कैंडिडेट टूर्नामेंट में जीत दर्ज की।
टोरंटो में अमेरिका के नाकामुरा के साथ 14वां और अंतिम राउंड ड्रा खेला। अंक तालिका में शीर्ष पर रहने की वजह से गुकेश को विजेता घोषित किया गया। इसके साथ ही गुलेश का इस साल केआखिरी क्वार्टर में मौजूद वर्ल्ड चैंपियन चीन के डिंग के करें से मुकाबला तय हो गया। इस टूर्नामेंट के जीत पर उन्हें 98.68 लख रुपए का इनाम मिला। गुकेश ने कहा मैं अपना बेस्ट करने के लिए प्लान कर रहा हूं। मैं अभी फाइनल के बारे में नहीं सोचा।
गुकेश की प्रारंभिक जीवन
विश्व चैंपियनशिप के युवा चैलेंजर रोम्मा राजू गुकेश काजल में 29 मई 2006 को चेन्नई के तमिलनाडु में हिंदू तेलुगू परिवार में हुआ था। भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर गुकेश के माता-पिता दोनों डॉक्टर है। पिता का नाम रजनीकांत भी एक डॉक्टर हैं। माता का नाम पद्मा एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट है। गुकेश 7 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया था। ग्रैंड मास्टर गुकेश का बचपन से ही शतरंज खेल में काफी रुचि थ।
रिलैक्स होकर खेलना की वजह से जीते गुकेश
गुकेश ने कैंडिडेट के के फाइनल राउंड में अमेरिका के हिकारू नाकामूरा के खिलाफ ड्रा खेला। ड्रा के साथ 17 वर्षीय गुकेश कैंडिडेटके जीतने वाले युवा बन गए हैं। कैंडिडेट के अंक तालिका (9अंक) मैं शीर्ष पर रहे। गुकेश
के टूर्नामेंट से पहले खास तैयारी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें।
गुकेश के सफलता का क्या कारण है,
गुकेश पहले से ज्यादा रिलैक्स थे। उनके पास टूर्नामेंट की तैयारी करने के लिए एक से ज्यादा महीने का समय था। वह मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना चाहते थे। टूर्नामेंट से पहले गुकेश थकना नहीं चाहते थे। जीत हासिल करने का सबसे बड़ा कारण यही था।
गुकेश के समान और पुरस्कार।
2023 में एशियाई शतरंज फेडरेशन के द्वारा प्लेयर ऑफ द ईयर पुरस्कार से सम्मानित किए गए।
2023 में ही सपोर्ट स्टार एसेस द्वारा सर्वश्रष्ठ युवा अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इन पुरस्कारों के शिवाय और भी पुरस्कार से सम्मानित किए गए हैं।
सिख
माता-पिता डॉक्टर और बेटा शतरंज टूर्नामेंट ग्रैंड मास्टर बना। इसलिए यह जरूरी नहीं है कि डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बने बल्कि रुचि के अनुसार बच्चों के प्रतिभा को समझना चाहिए और इस क्षेत्रमें उसे आगे बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए।
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12 की उम्र में ही दुनिया में ख्याति प्राप्त की।
गुकेश ने 7 साल की उम्र से शतरंज खेलना शुरू किया था। 2015 में उन्होंने अंडर-9 एशियन स्कूल चेस चैंपियनशिप जीती। इसके बाद 2018 में अंदर 12 कैटेगरी में वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप का खिताब जीता। 2017 में उन्होंने 34वें कैप्पेल ला ग्रांडे ओपन मैं इंटरनेशनल मास्टर बनने मानकों को पूरा कर लिया। इसके बाद 15 जनवरी 2019 को 12 साल 7 महीने और 17 दिन की उम्र में दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बन गए।
गुकेश की अनोखी बातें।
पिता के अनुसार गुकेश 1 साल में लगभग 250 टूर्नामेंट मैच तक के खेल लेते हैं जबकि दूसरे खिलाड़ी 150 मैच भी नहीं खेल पाते।
यूरोप में टूर्नामेंटके दौरान पैसों के बचत के लिए पिता के साथ एयरपोर्ट पर ही सो गए थे।
2020 में कोरोना काल आर्थिक रूप से उनके परिवार के लिए अच्छा साबित हुआ। शतरंज के टूर्नामेंट ऑनलाइन हो रहे थे। ऐसे ट्रैवल का खर्च बचा। पिता को दोबारा अस्पताल में काम मिला और उनकी आर्थिक स्थिति ठीक होने लगी।
सितंबर 2023 में भारतीयों की टॉप 10 अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में विश्वनाथ आनंद को पीछे छोड़ दिया। 37 साल में यह पहला मौका है जब विश्वनाथन आनंद टॉप 10 रैंकिंग से बाहर हुए हैं।
शतरंज की अंतरराष्ट्रीय राइटिंग मैं 2750 तक के पहुंचने वाले हुए दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी है।