भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक के सेमफाइनल मैं पहुंचकर इतिहास बना दिया है। वर्ल्ड नंबर 2 ब्रिटेन के खिलाफ है भारत में क्वार्टर फाइनल में जैसा खेल दिखाए, वैसा बरसों में नहीं ल्कि ऐसा खेल देखने को कभी-कभी मिलता है। भारत ने ब्रिटेन के खिलाफ मैच 1-1 सी बराबर रहने के बाद शूटआउट में 4-2 से जीत दर्ज की । अभी लगातार दूसरे मेडल से सिर्फ एक जीत दूर है। सबसे अच्छी बात हे जिया है कि भारतीय टीम ने दबाव से निपटना सीख लिया है। क्वार्टर फाइनल जैसे अहम मुकाबले में 43 ज्यादा समय तक खिलाड़ी कम होने के बावजूद टीम ने नाटो डिफेंस में कोई कमी आने दी और नाही फारवर्ड लाइन में विरोधी पर दबाव कम होने दिया।
दरअसल अमित रोहिदास को ब्रिटेन के खिलाड़ी के खिलाफ है अपनी हॉकी स्टिक उठाने के कारण रेड कार्ड दिखाए था। मेरी नजर में यू तो श्रीजेश मैच के हीरो हैं। लेकिन जिस प्रकार से मनप्रीत सिंह ने दो अहम मके पर टीम को गोल खाने से बचाया। वह बेहद अहम साबित हुआ। हमारे डिफेंडरों ने ब्रिटेन को मिले सभी पेनल्टी कॉर्नर फेल कर दिया। श्रीजेश के माइंडसेट का ब्रिटेन के पास कोई जवाब नहीं था। श्रीजेश ने अपने इंटरनेशनल करियर में 22 बार शूटआउट का सामना किया। जिसमें 12बार भारत जीता है।
लीडर हरमनप्रीत,
पूर्व कप्तान पिल्ले ने कहा कि हरमन भारतीय हॉकी में धोनी और कोहली का काम्बो हैं। जोहर चुनौती की जिम्मेदारी लेकर उसे पूरी तरह से निभाता है। इसका नजारा उन्होंने शूटआउट में पहला गोल की जिम्मेदारी लेकर दिखाया। टीम को शुरुआती बढ़त भी कप्तान ने 22 मिनट में दिलाई थी। मुझे सूट आउट के लिए खिलाड़ियों का चयन भी काफी बेहतर लगा क्योंकि गेंद को लेकर आगे बढ़े हर खिलाड़ी तकनीकी रूप से बहुत मजबूत थे। हुए ऐसे दबाव का सामना करना जानते थे।
हरमन सुखजीत ललित राजकुमार ने शॉट लेने में जल्दीबाजी के बजाय पूरे धैर्य के साथ मौका बनाया। अब सेमीफाइनल मैं भारत का हौसला विरोधी से कहीं भारी परेगा। मैं भारत को मेडललेते देख रहा हूं। यह हॉकी नहीं बल्कि भारत के खेल की जीत होगी।
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