आमिर हुसैन लोन
ऊंची उड़ान भरने के लिए हाथों की नहीं बल्कि हौसलों की जरूरत होती है। यह बात है बिल्कुल सही साबित किया जम्मू कश्मीर के क्रिकेटर आमिर हुसैन लोन। दोनों हाथ कटने के बाद भी क्रिकेट के नई ऊंचाइयों को छुआ है। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर भी उनके फैन हैं जी हां सचिन खुद उनके घर गए और उनसे मुलाकात की। इतना ही नहीं इंडियन स्टेट प्रीमियर लीग में आमिर ने सचिन तेंदुलकर के साथ मैच खेला। उसे मैच में सचिन ने आमिर की जर्सी नंबर वन और आमिर ने सचिन की जर्सी नंबर 10 पहनी थी। आज मैं ऐसे अद्भुत क्रिकेटरके बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे ।
आमिर हुसैन लोन की जीवन परिचय।
1990 में कश्मीर के बिजबहरा गांव मैं जन्मे आमिर हुसैन लोन को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। वह सचिन तेंदुलकर के बहुत बड़ा फैन थे। उनका क्रिकेट मैच अक्सर टीवी में देखकर उनके जैसा बनने का सपना देखा करता था। लेकिन दुर्भाग्य से 1997 में अपने परिवार के साथ आरा मशीन में काम कर रहे थे तभी उनका हाथ आरा मशीन मैं आ गया और कट गया। इतना होने के बावजूद भी उनका हौसला बुलंद रहा और क्रिकेट के प्रति जुनून ने उन्हें पारा क्रिकेट टीम का कप्तान बना दिया। यहां तक पहुंचने में उन्हें काफी सालों तक प्रैक्टिस करना पड़ा था। तब जाकर गले से बैटिंग और पैरों से बोलिंग कर पाए थे।
उनके हाथ है काटने के बाद कुछ लोगों ने उनकी मां से कहा कि इसे जहर दे दो क्योंकि अब इसका देखभाल कौन करेगा।
आमिर हुसैन लोन ने एक इंटरव्यू में बताया कि जब उनका हाथ कट गया तो मैं 8 साल का था। सी ने मुझे अस्पताल पहुंचाया और जब मैं घर वापस आया तो सबने दुख जताया, कई लोगों ने मेरी मां से कहा कि इसे जहर दे दो। क्योंकि अब इसका जीना मुश्किल होगा। आप लोगों के बाद इसकी देखभाल कौन करेगा। इस पर मेरी दादी गुस्सा हो गई। उसने सबसे ज्यादा मेरा सपोर्ट किया। उन्होंने कहा था कि जब तक मैं जिंदा हूं इसको हाथों की कमी नहीं होने दूंगी। मेरी दादी गेंद फैक्ट्री थी लेकिन सीधी नहीं आती थी।
आमिर हुसैन लोन की हाथ नहीं होने के बावजूद क्रिकेट कैसे खेलने लगे।
वह बचपन से ही सचिन का फैन रहा है। पड़ोसी के घर में जाकर मैच देखते थे। एक दिन पड़ोसी ने उन्हें घर से भगा दिया। तब उसने खिड़की से सचिन को खेलते हुए देखा। तब उनके अंदर क्रिकेट का जुनून पैदा हुआ। हाथ काटने से पहले वह बॉलिंग किया करते थे। सीरी जिन बच्चों के साथ वह क्रिकेट खेलते थे उनका खेल देखने लगे।
हां हादसे के बाद अक्सर दोस्तों को खेलते देखा करता था। एक दिन स्टेडियम में किनारे बैठकर दोस्तों का मैच देख रहा था तभी उसे आइडिया आया कि मैं भी क्रिकेट खेल सकता हूं। इसके बाद उसने गले से बेड को पकड़ा तो साथ वाले लड़के हंसने लगे। वह बोले नहीं कर पाओगे लेकिन उसे सपना पूरा करना था। फिर उसने सुबह से शाम तक सिर्फ गले से बैठ को पकड़ना सीख। सुबह उठते ही खाना खाने और पढ़ाई के बाद जब भी मौका मिलता तब आमिर हुसैन प्रेक्टिस करने में लग जाते।
गले से बैटिंग और पैरों से बॉलिंग करने मैं अमीर हुसैन लोन का कितना समय लगा।
16 साल तक उसने गले से बैटिंग और पर से बोलिंग की प्रैक्टिस की। दिन रात उसे बस यही लगता था कि मैं भी क्रिकेट खेल सकता हूं। आज भी वह चार घंटे तक प्रैक्टिस करता है। इस प्रकार आमिर हुसैन लोन गले से बैटिंग और पैरों से बॉलिंग करना सीखा।
नोट,
आमिर हुसैन लोन की कहानी उन लोगों को प्रोत्साहित करेगी जो दिव्यांग है। जिन्हें लगता है कि वह दिव्यांग होने के कारण कुछ भी नहीं कर सकते वह आमिर हुसैन लोन की कहानी से सीख ले सकते हैं।
अमीर हुसैन लोन ने दी दिव्या जनों को उपदेश।
आप ठान लो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है। जोश और जुनून को अपने अंदर से नहीं करने देना चाहिए। कई मुश्किलों के बाद भी आमिर हुसैन ने हार नहीं मानी और अपने टारगेट पर फोकस रखा। नशे जैसे बुराइयों से दूर रहें।।