पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती:
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 में हुआ था। इसीलिए प्रत्येक साल 25 सितंबर को उनका जन्म दिवस मनाया जाता है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का रचि राजनीति के अलावा साहित्य में भी था। उनकी कई लिखे हिंदी और अंग्रेजी में पत्रिकाओं में भी छपा हुआ है। दीनदयाल उपाध्याय एक के दार्शनिक भी थे। आज हम इस लेख में पंडित दीनदयाल की कुछ विशेषताओं के बारे में जानेंगे।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन परिचय:
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को जयपुर अजमेर के एक छोटे से गांव धनकिया में हुआ था। उनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय था। उनके माता का नाम रामप्यारी था। दीनदयाल उपाध्याय 1953 से लेकर 1968 तक भारतीय जन संघ के अध्यक्ष भी रहे हैं। जो आज भारतीय जनता पार्टी के नाम से जाना जाता है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के कुछ विशेषताएं नीचे दी गई है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति और विचारधारा के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे। उनकी विचारधारा और व्यक्तित्व की 10 मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1,एकात्म मानववाद:
पंडित दीनदयाल ने 'एकात्म मानववाद' का सिद्धांत दिया, जिसमें समाज की सभी इकाइयों - व्यक्ति, परिवार, समाज, और राष्ट्र के संतुलित विकास पर बल दिया गया है।
,2,राष्ट्रवाद:: वे एक सशक्त राष्ट्रवादी थे, जिन्होंने भारतीय सभ्यता, संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण और विकास पर जोर दिया।
3, स्वदेशी विचारधारा,: पंडित दीनदयाल ने स्वदेशी वस्त्रों, उत्पादों और विचारों को अपनाने पर बल दिया। उनका मानना था कि भारत को अपने संसाधनों और संस्कृति पर आधारित विकास करना चाहिए।
4, सामाजिक समानता: उन्होंने समाज में समता और न्याय की अवधारणा पर बल दिया, जिसमें जाति, धर्म और वर्ग के भेदभाव से मुक्त समाज की कल्पना की गई।
5, आर्थिक के आत्मनिर्भरता: पंडित जी ने आर्थिक नीति के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और देशी उद्योगों के विकास का समर्थन किया।
6, राजनीतिक ईमानदारी: उनके नेतृत्व और विचारधारा में सच्चाई और ईमानदारी का विशेष स्थान था। वे राजनीति में नैतिकता और स्वच्छता के पक्षधर थे।
7, समाज के अंतिम व्यक्ति का चिंता :पंडित दीनदयाल 'अंत्योदय' के सिद्धांत को मानते थे, जिसमें समाज के सबसे गरीब और अंतिम व्यक्ति का कल्याण सर्वोच्च प्राथमिकता हो।
8, शिक्षा में सुधार: उन्होंने भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार का समर्थन किया, जिससे युवा पीढ़ी भारतीय मूल्यों और परंपराओं से जुड़ी रह सके।
9, स्वतंत्र सच :पंडित दीनदयाल ने स्वतंत्र विचारधारा का समर्थन किया और किसी भी प्रकार के विदेशी मॉडल का अंधानुकरण करने से बचने की सलाह दी।
10, संगठन निर्माण: वे संगठनात्मक कौशल के धनी थे। भारतीय जनसंघ (जो बाद में भारतीय जनता पार्टी बना) के निर्माण और उसकी जड़ों को मजबूत करने में उनका बड़ा योगदान था।
ये विशेषताएं पंडित दीनदयाल उपाध्याय के व्यक्तित्व और उनके विचारों को परिभाषित करती हैं।