18 नवंबर को बिहार झारखंड से अपना दूसरा मैच खेलेगा। सनी को सुरक्षा आक्रामकता और सती के आकलन की प्रसन्नता हो रही है। इस सब के पीछे सनी ने बताया कि इसका उद्देश्य भारतीय टीम का हिस्सा बनना है। वह अपने देश को फुटबॉ में बढ़तेऔर शिखर पर जाते देखना चाहता है।
सनी ने जब स्कूल में खेलना शुरू किया था तब अन्य बच्चों से लंबे होने के कारण उसे गोलकीपर बना दिया गया था। धीरे-धीरे गोलकीपर में शनि का लगाओ बढ़ता गया और सनी ने गोलकीपर के रूप में अपनी भूमिका तय कर ली। अपनी उम्र के बच्चों में अधिक लंबे होने का सनी को खूब लाभ मिला। सामान्य से कुछ अलग पतिभा के कारण स्कूली समय से ही सनी को अच्छा गोलकीपर माना जाने लगा। स्कूल साहित्य अन्य प्रतियोगिताओं में गोलकीपर के रूप में सनी टीम की पहली पसंद होता था। खेल में लोगों से प्रसन्नता मिलने से सनी का फुटबॉल से रुचि खेल में लगातार परिश्रम से सनी का खेल लगातार निखरता चला गया। छपरा सांडा, मोहन नगर निवासी प्रमिला देवी, श्याम सुंदर कुमार का पुत्र सनी को उसके माता-पिता और परिजनों का समर्थन मिला।
सनी को मिल रही है बधाइयां।
संतोष ट्रॉफी में बिहार सीनियर टीम में शामिल और मैच में अच्छा प्रदर्शन करने पर सन्नी को बधाइयां मिल रही है। सनी क्षमता को लेकर मड़ौड़ा के कोच प्रभाकर सिंह ने भरोसा जताया है। उन्होंने कहा कि युवा सनी प्रतिभा संपन्न खिलाड़ी हैं और अवसर मिलने पर वह बहुत आगे तक जाएगा।
सामान्य मजदूर का पुत्र शनि ने अपनी मेहनत से तय किया मुकाम ।
संतोष ट्रॉफी में बिहार टीम का हिस्सा बने सनी ने अपनी मुकाम अपनी मेहनत से तय की है। सामान्य मजदूर ठेकेदार श्याम सुंदर कुमार का पुत्र सनी जन्म से अभाव और कमी को नजदीक से देखा है। पिता पानी बोरिंग के एक ठेकेदार मजदूर हैं और माता प्रमिला देवी एक घरेलू महिला है। एक भाई और दो बहनों में सनी बड़ा पुत्र है। अभाव और तंगी के कारण पिता ने सनी को बचपन में ही पढ़ाई लिए अपने संबंधी के यहां कानपुर भेज दिया था। यहीं से सनी को पढ़ाई के सथ-साथ फुटबॉल की तरफ भी रुझान बड़ा और सन्नी ने अपमें खेल में धीरे-धीरे स्थापित होने लगा। इस तरह सनी का करियर का उतार- चढ़ाव रहा।