राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की जीवन परिचय/Draupadi murmu biography in Hindi.

देश के प्रथम आदिवासी महिला बनी राष्ट्रपति,। मुर्मू के राष्ट्रपति बनते ही दलित और आदिवासियों में खुशी की लहर दौड़ पड़े हैं। 25 जुलाई 2022 को द्रौपदी मुरमू राष्ट्रपति पद की शपथ लेगी थी।
द्रौपदी मर्मू एक राजनेत्री तथा समाज सेवी हैं। द्रौपदी मर्मु एक ऐसी आदिवासी महिला है जो झारखंड के 2015 से 2021 तक राज्यपाल पद पर कार्यरत थी। वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनी थी। एक शिक्षक से राज्यपाल की सफर काफी संघर्षपूर्ण था। उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत एक शिक्षक पद से किया था। राजनीति द्रौपदी मर्मू को विरासत में मिली थी।
द्रौपदी मुर्मू की जीवन परिचय।
द्रौपदी मुरमू की जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा के मयूरभंज जिले के बैदपोसी गांव में हुआ था। उनका जन्म एक संथाल परिवार यानी आदिवासी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंचि नारायण टुडु था। उनके पिता तथा दादा दोनों उस गांव के प्रधान थे। द्रोपदी मुर्मू के पति का नाम श्याम चरण मर्मू था। उनके पति पेशे से एक बैंक कर्मचारी थे। उनके दो बेटे तथा एक बेटी है। दुर्भाग्य से उनके पति तथा दोनों बेटे अलग-अलग समय में अकाल मृत्यु हो गई। 2009 में उनके बड़े बेटे का अकाल मृत्यु हो गया अपने बेटे के मृत्यु से वह काफी दुखी हो गई। एक दुख है अभी काम भी नहीं हुआ था कि 2013 में उनकी दूसरा बेटा भी अकाल मृत्यु की भेंट चढ़ गया। द्रोपति मर्मू पर विप अदाओं का पहाड़ टूटता रहा फिर भी वह किसी तरह आगे बढ़ती रहे। 2014 में उनके पति श्याम नारायण मुर्मू का भी देहांत हो गया इसके बाद में द्रौपदी मर्मु डिप्रेशन में आ गई और अध्यात्म का सहारा लिया यानी डिप्रेशन से उबरने के लिए योगा करना शुरू किया। इन सारी हालातों से लड़ते हुए द्रोपदी आज इस जगह पर पहुंची है। उनके घर में एक ही बेटी बच्ची है जो शादी करके भुवनेश्वर में रहती है।
द्रौपदी मुर्मू की संक्षिप्त जीवन परिचय।
नाम। द्रौपदी मुर्मू
पिता का नाम। बीरांची नारायण टू डू
जन्मतिथि। 20 जून 1958
जन्म स्थान। मयूरभंज उड़ीसा भारत
पति का नाम श्याम चरण मुर्मू
पेशा। राजनीति
पार्टी। भारतीय जनता पार्टी
आयु। 64 वर्ष
वजन। 74 किलोग्राम
लंबाई। 5 फुट 4 इंच
जाति। अनुसूचित जनजाति यानी आदिवासी
बच्चे। 3 बच्चे में एक लड़की जीवित इतिश्री मुर्मू
संपत्ति। लगभग 10 लाख रुपया
द्रौपदी मुर्मू की राजनीतिक कैरियर।
मैं आपको बता चुका हूं कि उन्हें राजनीति विरासत में मिली थी। क्योंकि उनके पिता और दादा दोनों ही गांव के प्रधान थे। द्रोपदी की कैरियर की बात करें तो उन्होंने एक क्लालार्क पद से अपने कैरियर की शुरुआत की थी, बाद में उन्होंने सहायक प्रोफेसर का पद संभाला। 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत हासिल की और अपनी राजनीतिक कैरियर की शुरूआत किया। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में काम किया है।
द्रोपदी ओडिशा के मयुरभंज जिला के रायरंगपुर सीट से दो बार 2000 और 2009 में जीती तथा विधायक बनी। उड़ीसा के बीजू पटनायक के बीजू जनता दल और भारतीय जनता पार्टी सरकार में द्रोपदी को 2000 और 2004 के बीच वाणिज्य परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री बनाया गया था। 2015 में झारखंड के 9वी राज्यपाल बनाई गई। झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का खिताब अपने नाम किया। द्रौपदी काफी साहसी और दृढ़ निश्चय वाली है। वह अपने बातों पर आरी रहती है।
द्रौपदी मुर्मू की शिक्षा।
द्रौपदी देवीदयाल महिला विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है।
द्रोपदी मुर्मू 24 जून 2022 में अपना नामांकन राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में किया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 
प्रस्तावक तथा राजनाथ सिंह अनुमोदक बने, स्थितियों को देखते हुए ऐसा लगता है कि यह आदिवासी महिला हमारे देश के 1 दिन में राष्ट्रपति जरूर बनेगी।
आशा करता हूं यह पोस्ट आपको जरूर पसंद आएगी।
द्रौपदी मुर्मू की अनोखी बातें जो शायद आप नहीं जानते हो।
1, 1979 से 1983 तक सिंचाई विभाग में जूनियर सहायक के पद पर कार्यरत थी।
2, 1994 से 1997 तक असिस्टेंट टीचर के रूप में काम किया।
3, द्रौपदी मुरमू मूल रूप से छत्तीसगढ़ की निवासी है लेकिन उनका जन्म उड़ीसा में हुआ था।
4, द्रौपदी मुर्मू की दो बेटे और पति के अकाल मृत्यु हो जाने के पश्चात डिप्रेशन में चली गई तब उन्होंने अध्यात्म का रास्ता चुना और फिर राजनीति में आगे बढ़ती गई।
5, द्रौपदी मुर्मू की इकलौती बेटी इतिश्री शादीशुदा है और फिलहाल में उड़ीसा के भुवनेश्वर में रहती है।
6, द्रोपदी जिस स्कूल में पढ़ाती थी वहां से वेतन नहीं लेती थी।
7, जब उनके बेटे और पति की अकाल मृत्यु हो गई तब वह डिप्रेशन में आ गई थी, उसके बाद उसने योग आश्रम की मदद ली जिससे उनके अंदर फिर से आत्म शक्ति प्रबल हो गई और सेवा कार्य में लग गई।
8, वह जिस स्कूल में पढ़ाती थी वहां से वेतन नहीं लेती थी।
सम्मान एवं पुरस्कार,
2007 में नीलकंठ पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ विधायक पुरस्कार से सम्मानित की गई।


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